मन की बगिया महक रही देखो मैं बहक रही

फुलवारी में फूल खिले हैं मन की बगिया भी महक रही

पेड़ों पर बूर पड़े,कलियों ने करवट ली,देखो महक रहीं

तितली ने पंख पसारे,फूलों से देखो तो गुपचुप बात हुई

अन्तर्मन में चाहत की हूक उठी, देखो तो मैं बहक रही