कोई नहीं अपना

काफ़िलों में हम चले, लगा कोई सहारा मिला

राहों में कौन छूट गया, कौन अलग हो चला

देखते-देखते ही बिखराव की एक आंधी आई

अपना रहा कोई पराया, विलग हो ही भला