कृष्ण ने किया था शंखनाद

महाभारत की कथा

पढ़कर ज्ञात हुआ था,

शंखनाद से कृष्ण ने किया था

एक ऐसे युद्ध का उद्घोष,

जिसमें करोड़ों लोग मरे थे,

एक पूरा युग उजड़ गया था।

अपनों ने अपनों को मारा था,

उजाड़े थे अपने ही घर,

लालसा, मोह, घृणा, द्वेष, षड्यन्त्र,

चाहत थी एक राजसत्ता की।

पूरी कथा

बार-बार पढ़ने के बाद भी

कभी समझ नहीं पाई

कि इस शंखनाद से

किसे क्या उपलब्धि हुई।

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यह भी पढ़ा है,

कि शंखनाद की ध्वनि से,

ऐसे अदृश्य

जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं

जो यूं

कभी नष्ट नहीं किये जा सकते।

इसी कारण

मृत देह के साथ भी

किया जाता है शंखनाद।

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शुभ अवसर पर भी

होता है शंखनाद

क्योंकि

जीवाणु तो

हर जगह पाये जाते हैं।

फिर यह तो

काल की गति बताती है,

कि वह शुभ रहा अथवा अशुभ।

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एक शंखनाद

हमारे भीतर भी होता है।

नहीं सुनते हम उसकी ध्वनियां।

एक आर्तनाद गूंजता है और

बढ़ते हैं एक नये महाभारत की ओेर।