कैसा है ये अद्भुत दरबार

 

आर-पार मेरी सरकार।

दे दे दो वोट मेरे यार।

कौन है सच्चा, कौन है झूठा,

बस इनकी जीत, हमारी हार।

इसको छोड़ें उसको पकड़ें,

इसको पकड़ें, उसको छोड़ें,

करें यही हम बारम्बार।

कौन है मंत्री, कौन है सन्तरी,

कैसे समझें हम हर बार।

वोट दिया था किसी को हमने,

सत्ता पर बैठा कोई और।

इस उलट-फेर को

कोई तो समझाओ यार।

कहां पहचान है

किसका सिर और किसका द्वार,

दांत मेरे उखड़ रहे]

टोपी तेरी सरक रही]

कैसा है ये अद्भुत दरबार।

हम गिनते हैं सिक्के,

भूखे मरते हैं लाचार।

कोरोना में झूलें हम,

बाढ़ों में डूबे हम।

करोड़ों में ये बिक रहे,

हम फिर भी वोटों में है सिक रहे।

सारा दिन किसी चलचित्र-सा

इनका मजमा चल रहा

हाथ पर हाथ धरे बैठे हम लाचार।

अपना सिर फोड़ सकें,

लाओ ऐसी कोई दीवार।