नेह-जलधार हो

जीवन में
कुछ पल तो ऐसे हों
जो केवल
मेरे और तुम्हारे हों।
जलधि-सी अटूट

नेह-जलधार हो
रेत-सी उड़ती दूरियों की
दीवार हो।
जीवन में
कुछ पल तो ऐसे हों
जो केवल
मेरे और तुम्हा़रे हों।

बस एक हिम्मत की चाह

जीवन बोझ-सा

समस्याएं नाग-सी

तब चाहिए

तुम्हारा साथ

हाथ पकड़ा है

मैं तुम्हें समस्याओं से बचाउं

तुम मेरे साथ

तो जीवन भी बोझ-सा नहीं

बस एक हिम्मत की चाह

होंगे हम साथ-साथ

चोट दिल पर लगती है

चोट दिल पर लगती है

आंसू आंख से बहते हैं

दर्द जिगर में होता है

बात चेहरा बोलता है

आघात कहीं पर होता है

घाव कहीं पर बनता है

जख्‍म शब्‍दों  के होते हैं

बदला कलम ले लेती है

दूर रहना ज़रा मुझसे

चोट गहरी हो तो

प्रतिघात घातक होता है।

 

चिराग जलायें बैठे हैं

घनघोर अंधेरे  में

जुगनुओं को जूझते देखा।

गहरे सागर में

दीपक को राह ढूंढते

तिरते देखा।

गहन अंधेरी रातों में

चांद-तारे भी

भटकते देखे मैंने,

रातों की आहट से

सूरज को भी डूबते देखा।

और हमारी

हिम्मत देखो

चिराग जलायें बैठे हैं

चलो, राह दिखाएं तुमको।