निशा पड़ाव पल भर

निशा !

दिन भर के थके कदमों का

पड़ाव पल भर।

रोशनी से शुरू होकर

रोशनी तक का सफ़र।

सूर्य की उष्मा से राहत

पल भर।

चांद की शीतलता का

मधुर हास।

चमकते तारों से बंधी आस।

-अंधेरा छंटेगा।

फिर सुबह होगी।

नई सुबह।

यह सफ़र जारी रहेगा।