जब उसका डमरू बजता है

नज़र दूरियां नापती हैं

हिमशिखर के पार

कहां तक है संसार

राहें

सुगम हों या हों दुर्गम।

 

जगत माया है

मिथ्या है

पता नहीं,

पर

जब

उसका डमरू बजता है

तब, सब

उस जगत के पार ही दिखता है।