कहां सीख पाये हैं हम

नयनों की एक बूंद

सागर  के जल से गहरी होती है

ढूंढोगे तो किन्तु

जलराशि जब अपने तटबन्धों को

तोड़ती है

तब भी विप्लव होता है

और जब भीतर ही भीतर

सिमटती है तब भी।

 

कहां सीख पाये हैं हम

सीमाओं में रहना।