जीवन-भर का सार

सुना करते हैं  रेखाओं में भाग्य लिखा रहता है

आड़ी-तिरछी रेखाओं में हाल लिखा रहता है

चेहरे पर चेहरे लगाकर बैठे हैं देखो तो ज़रा

इन रेखाओं में जीवन-भर का सार लिखा रहता है

कुशल रहें सब, स्वस्थ रहें

कुशल रहें सब, स्वस्थ रहें सब, यही कामना करते हैं

आनी-जानी तो लगी रहेगी, हम यूं ही डरते रहते हैं

कौन है अपना, कौन पराया, कहां जान पाते हैं हम

जो सुख-दुख के हों  साथी, वे ही अपने लगने लगते हैं

रंगों में जीवन को आशा

मुक्त गगन में चिड़िया को उड़ते देखा

भोर के सूरज की सुरमई आभा को देखा

मन-मयूर कहता है चल उड़ चलें कहीं

रंगों में जीवन को आशाओं में पलते देखा

हम-तुम तो हैं मूरख जी

युग है चपर कनाती का

ज़ोर चले है लाठी का

हम-तुम तो हैं मूरख जी

घोड़ा चलता काठी का

कड़वे बोल

मीठा खाकर बोले कड़वे बोल

झूठे की कभी न खोले पोल

इधर-उधर की लगाकर बैठे

ऐसी रसना का है क्या मोल

चिड़ियाॅं रानी

गुपचुप बैठी चिड़ियाॅं रानी

चल कर लें दो बातें प्यारी

कुछ तुम बोलो, कुछ मैं बोलूं

मन की बातें कर लें सारी

मौसम के रॅंग

सहमी-सहमी धूप है, खिड़कियों से झांक रही

कुहासे को भेदकर देखो घर के भीतर आ रही

पग-पग चढ़ती, पग-पग रुकती, कहाँ चली ये

पकड़ो-पकड़ो भाग न जाये, मेरे हाथ न आ रही।

दुख-सुख तो आने-जाने हैं
मिल जाये जब मज़बूत सहारा राहें सरल हो जाती हैं

कौन है अपना, कौन पराया, ज़रा पहचान हो जाती है

दुख-सुख तो आने-जाने हैं, किसने देखा, किसने समझा

जब हाथ थाम ले कोई, राहें समतल,सरल हो जाती हैं।

तू कोमल नार मैं तेरा प्यार
हाथ जोड़ता हूँ तेरे, तेरी चप्पल टूट गई, ला मैं जुड़वा लाता हूँ

न जा पैदल प्यारी, साईकल लाया मैं, इस पर लेकर जाता हूँ

लोग न जाने क्या-क्या समझेंगे, तू कोमल नार मैं तेरा प्यार

आजा-आजा, आज तुझे मैं लाल-किला दिखलाने ले जाता हूँ

माँ की ममता
जीवन के सुखमय पल बस माँ के संग ही होते हैं

नयनों से बरसे नेह, संतति के सुखद पल होते हैं

हिलमिल-हिलमिल बस जीवन बीता जाता यूँ ही

किसने जाना, माँ की ममता में अनमोल रत्न होते हैं।

वन्दन करें अभिनन्दन करें

देश की आन, शान, बान के लिए शहीद हुए, मोल न लगाईये

उनकी दिखाई राह पर चल सकें, बस इतनी सोच ही बढ़ाईये

भारत की सुन्दर धरा को निखार सकें, इतना विचार कीजिए

वन्दन करें, अभिनन्दन करें, उनकी शान में शीश ही झुकाईये

 

आंख की कमान तान

आंख की कमान तान

मेरी ले यह बात मान

रखना नज़र टेढ़ी सदा

साथ रखना खुले कान

दो पंछी

गुपचुप, छुपछुपकर बैठे दो पंछी

नेह-नीर में भीग रहे दो पंछी

घन बरसे, मन हरषे, देख रहे

साथ-साथ बैठे खुश हैं दो पंछी

बस यूं ही
बेमौसम मन में बिजली कड़के

जब देखो दाईं आंख है फ़ड़के

मन यूं ही बस डरने लगता है

आंखों से तब गंगा-यमुना बरसे

वेदनाओं की गांठें खोल

बांध ज़िन्दगी में पीड़ा की गठरियों को

कुछ हंस-बोल ले, खोल दे गठरियों को

वेदनाओं की गांठें खोल, कहीं दूर फेंक

तोड़ फेंक झूठे रिश्तों की गठरियों को

इच्छाएं अनन्त
इच्छाएं अनन्त, फैली दिगन्त

पूर्ण होती नहीं, भाव भिड़न्त 

कितनी है भागम-भाग यहां

प्रारम्भ-अन्त सब है ज्वलन्त

सच आज लिख ज़रा

जीवन का हर सच, आज लिख ज़रा

झूठ को समझकर, आज लिख ज़रा

न डर किसी से, आज कोई क्या कहे

राज़ खोल दे आज, हर बात लिख ज़रा

फूलों की मधुर मुस्कान
हथेलियों पर लेकर आये हैं फूलों की मधुर मुस्कान

जीवन महका, रंगों की आभा से खिल रही मुस्कान

पीले रंगों से मन बासन्ती हो उठा, क्यों बहक रहा

प्यार का संदेश है यहाँ हर पल बिखर रही मुस्कान

वक्त तक  तोड़ न पाया मुझे

मेरे इरादों को मेरी उम्र से जोड़कर हरगिज़ मत देखना

हिमालय को परखती हूं यह समझ कर, मेरी ओर हेरना

उम्र सत्तर है तो क्या हुआ, हिम्मत अभी भी बीस की है

वक्त तक  तोड़ न पाया मुझे, समझकर मेरी ओर देखना

अपना जीवन है
अपनी इच्छाओं पर जीने का साहस रख

कोई क्या कहता है इससे न मतलब रख

घुट-घुटकर जीना भी कोई जीना है यारो

अपना जीवन है, औरों के आरोप ताक पर रख

अनिच्छाओं को रोक मत
अनिच्छाओं को रोक मत प्रदर्शित कर

कोई रूठता है तो रूठने दे, तू मत डर

कब तक औरों की खुशियों को ढोते रहेंगे

जो मन न भाये उससे अपने को दूर रख

जीवन की भाग-दौड़ में

जीवन की भाग-दौड़ में कौन हमराही, हमसफ़र कौन

कौन मिला, कौन छूट गया, हमें यहाँ बतलाएगा कौन

आपा-धापी, इसकी-उसकी, उठा-पटक लगी हुई है

कौन है अपना, कौन पराया, ये हमें समझायेगा कौन

भटकन है
दर्द बहुत है पर क्यों बतलाएँ तुमको

प्रश्न बहुत हैं पर कौन सुलझाए उनको

बात करते हैं तब उलाहने ही मिलते हैं

भटकन है पर कोई न राह दिखाए हमको

मन के सच्चे
कानों के तो कच्चे हैं

लेकिन मन के सच्चे हैं

जो सुनते हैं कह देते हैं

मन में कुछ न रखे हैं।

तुमसे ही करते हैं तुम्हारी शिकायत

क्षणिक आवेश में कुछ भी कह देते हैं

शब्द तुम्हारे लौटते नहीं, सह लेते हैं

तुमसे ही करते हैं तुम्हारी शिकायत

इस मूर्खता को आप क्या कहते हैं

मन ठोकर खाता
चलते-चलते मन ठोकर खाता

कदम रुकते, मन सहम जाता

भावों की नदिया में घाव हुए

समझ नहीं, मन का किससे नाता

प्यार का नाता

एक प्यार का नाता है, विश्वास का नाता है

भाई-बहन से मान करता, अपनापन भाता है

दूर रहकर भी नज़दीकियाँ यूँ बनी रहें सदा

जब याद आती है, आँख में पानी भर आता है

बड़ा मुश्किल है  Very Difficult
बड़ा मुश्किल है नाम कमाना

मेहनत का फल किसने जाना

बाधाएँ आती हैं आनी ही हैं

किसने राहें रोकी, भूल जाना

किसी के मन न भाती है
पुस्तकों पर सिर रखकर नींद बहुत अच्छी आती है

सपनों में परीक्षा देती, परिणाम की चिन्ता जाती है

सब कहते हैं पढ़-पढ़ ले, जीवन में कुछ अच्छा कर ले

कुछ भी कर लें, बन लें, तो भी किसी के मन न भाती है

तरुणी की तरुणाई
मौसम की तरुणाई से मन-मग्न हुई तरुणी

बादलों की अंगड़ाई से मन-भीग गई तरूणी

चिड़िया चहकी, कोयल कूकी, मोर बोले मधुर

मन मधुर-मधुर, प्रेम-रस में डूब गई तरुणी