खत लिखने से डरते थे।

मन ही मन

उनसे प्यार बहुत करते थे

पर खत लिखने से डरते थे।

कच्ची पैंसिल, फटा लिफ़ाफ़ा

आटे की लेई,

कापी का आखिरी पन्ना।

फिर सुन लिया

लोग लिफ़ाफ़ा देखकर

मजमून भांप लिया करते हैं।

उनसे प्यार बहुत करते थे

पर इस कारण

खत लिखने से डरते थे।

अब हमें

मजमून का अर्थ तो पता नहीं था

लेकिन

मजमून से

कुछ मजनूं की-सी ध्वनि

प्रतिध्वनित होती थी।

कुछ लैला-मजनूं की-सी।

और कभी-कभी जूं की-सी।

और
इन सबसे हम डरते थे ।
उनसे प्यार बहुत करते थे

पर इस कारण

खत लिखने से डरते थे।

अजगर करे न चाकरी

न मैं मांगू भिक्षा,

न जांचू पत्री,

न करता हूं प्रभु-भक्ति।

पिता कहते हैं

शिक्षा मंहगी,

मां कहती है रोटी।

दुनिया कहती

बड़े हो जाओ

तब जानोगे

इस जग की हस्ती।

सुनता हूं

खेल-कूद में

बड़ा नाम है

बड़ा धाम है।

टी.वी., फिल्मों में भी

बड़ा काम है।

पर

सब कहते हैं

पैसा-पैसा-पैसा-पैसा !!!!!

तब मैंने सोचा

सबसे सस्ता

यही काम है।

अजगर करे न चाकरी

पंछी करे न काम

दास मलूका कह गये

सबके दाता राम।

हरे राम !! हरे राम !!

मैं बहुत बातें करता हूं

मम्मी मुझको गुस्सा करतीं

पापा भी हैं डांट पिलाते

मैं बहुत बातें करता हूं

कहते-कहते हैं थक जाते

चिड़िया चीं-चीं-ची-चीं करती

कौआ कां-कां-कां-कां करता

टाॅमी दिन भर भौं-भौं करता

उनको क्यों नहीं कुछ भी कहते