है हौंसला बुलन्द

उन राहों पर निकले हैं जिनका आदि न कोई अन्त

न आगे है कोई न पीछे है, दिखता दूर कहीं दिगन्त

देखने में रंगीनियां हैं, सफ़र है, समां सुहाना लगता है

टेढ़ी-मेढ़ी राहें हैं, पथ दुर्गम है, पर है हौंसला बुलन्द