हां, मैं हूं कुत्ता

एक कुत्ते ने

फेसबुक पर अपना चित्र देखा,

और बड़बड़ाया

इस इंसान को देखो

फेसबुक पर भी मुझे ले आया।

पता नहीं क्या-क्या कह डालेगा मेरे बारे मे।

दुनिया-जहां में तो

नित्यप्रति मेरी कहानियां

गढ़-गढ़कर समय बिताता है।

पता नहीं कितने मुहावरे

बनाये हैं मेरे नाम से,

तरह तरह की बातें बनाता है।

यह तो शिष्ट-सभ्य,

सुशिक्षित बुद्धिजीवियों का मंच है,

मैं अपने मन की पीड़ा

यहां कह भी तो नहीं सकता।

कोई टेढ़ी पूंछ के किस्से सुनाता है,

तो कोई स्वामिभक्ति के गुण गाता है।

कोई तलुवे चाटने की बात करता है

तो कोई बेवजह ही दुत्कारता है।

किसी को मेरे भाग्य से ईर्ष्या होती है

तो कोई अपनी भड़ास निकालने के लिए

मुझे लात मारकर चला जाता है।

और महिलाओं   के हाथ में

मेरा पट्टा देखकर तो

मेरी भांति ही लार टपकाता है।

बची बासी रोटी डालने से

कोई नहीं हिचकिचाता है।

बस,आज तक

एक ही बात समझ नहीं आई

कि मैं कुत्ता हूं, जानता हूं,

फिर मुझे कुत्ता-कुत्ता कहकर क्यों चिड़ाता है।

और हद तो तब हो गई

जब अपनी तुलना मेरे साथ करने लगता है।

बस, तभी मेरा मन

इस इंसान को

काट डालने का करता है।