हमने न कभी डर-डर कर जीवन जिया है

प्यार क्यों किया है ?

किया है तो किया है।

प्यार किया है

तो इकरार भी किया है।

कभी रूठने

कभी मनाने का

लाड़ भी किया है।

प्यार भरी निगाहों से

छूते रहे हमें,

हमने कब

इंकार किया है।

जाने-अनजाने

हमारे चेहरे पर

खिल आई उनकी

मुस्कुराहटें,

हमने मानने से

कब इंकार किया है।

कहते हैं

लोग जानेंगे तो

चार बातें करेंगे,

हमने न कभी

डर-डर कर

जीवन जिया है।