साथी तेरा प्यार

साथी तेरा प्यार

जैसे खट्टा-मीठा

मिर्ची का अचार।

कभी पतझड़

तो कभी बहार,

कभी कण्टक चुभते

कभी फूल खिलें।

कभी कड़क-कड़क

बिजली कड़के

कभी बिन बादल बरसात।

कभी नदियां उफ़ने

कभी तलछट बनते

कभी लहर-लहर

कभी भंवर-भंवर।

कभी राग बने

सुर-साज सजे

जीवन की हर तान बजे।

लुक-छिप, लुक-छिप

खेल चला

जीवन का यूं ही

मेल चला।

साथी तेरा प्यार

जैसे खट्टा-मीठा अचार।