सांझ-सवेरे भागा-दौड़ी

सांझ-सवेरे, भागा-दौड़ी

सूरज भागा, चंदा चमका

तारे बिखरे

कुछ चमके, कुछ निखरे

रंगों की डोली पलटी

हल्के-हल्के रंग बदले

फूलों ने मुख मोड़ लिए

पल्लव देखो सिमट गये

चिड़िया ने कूक भरी

तितली-भंवरे कहाँ गये

कीट-पतंगे बिखर गये

ओस की बूँदें टहल रहीं

देखो तो कैसे बहक रहीं

रंगों से देखो खेल रहीं

अभी यहीं थीं

कहाँ गईं, कहाँ गईं

ढूंढो-ढूंढों कहाँ गईं।