सम्मान से जीना है रूपसी

आंखों की भाषा समझे न, निष्ठुर है यह जग रूपसी

आवरण हटा कर बोल, मन की बात खोल रूपसी

तेरी इस साज-सज्जा से यूं ही भ्रमित हैं सब देख तो

न डर, हो निडर, गरसम्मान से जीना है रूपसी