सम्मान उन्हें देना है

आपको नहीं लगता

इधर हम कुछ ज़्यादा ही

आंसू बहाने लगे हैं,

उनकी कर्त्तव्यनिष्ठा पर

प्रश्नचिन्ह लगाने लगे हैं।

उनके समर्पण, देशप्रेम को

भुनाने में लगे हैं,

उन्होंने चुना है यह पथ,

इसलिए नहीं

कि आप उनके लिए

जार-जार रोंयें

उनके कृत्यों को

महिमामण्डित करें

और अपने कर्त्तव्यों से

हाथ धोयें,

कुछ शब्दों को घोल-घोलकर

तब तक निचोड़ते रहें

जब तक वे घाव बनकर

रिसने न लगें।

वे अपना कर्त्तव्य निभा रहे हैं

और हमें समझा रहे हैं।

देश के दुश्मन

केवल सीमा पर ही नहीं होते,

देश के भीतर,

हमारे भीतर भी बसे हैं।

हम उनसे लड़ें,

कुछ अपने-आप से भी करें

न करें दया, न छिछली भावुकता परोसें

अपने भीतर छिपे शत्रुओं को पहचानें

देश-हित में क्या करना चाहिए

बस इतना जानें।

बस यही सम्मान उन्हें देना है,

यही अभिमान उन्हें देना है।