समय जब कटता नहीं

काम है नहीं कोई

इसलिए इधर की उधर

उधर की इधर

करने में लगे हैं हम आजकल ।

अपना नहीं,

औरों का चरित्र निहारने में

लगे हैं आजकल।

पांव धरा पर टिकते नहीं

आकाश को छूने की चाहत

करने लगे हैं हम आजकल।

समय जब कटता नहीं

हर किसी की बखिया उधेड़ने में
लगे रहते हैं हम आजकल।

और कुछ न हो तो

नई पीढ़ी को कोसने में

लगे हैं हम आजकल।

सुनाई देता नहीं, दिखाई देता नहीं

आवाज़ लड़खड़ाती है,

पर सारी दुनिया को

राह दिखाने में लगे हैं हम आजकल।