वह घाव पुराना

अपनी गलती का एहसास कर

सालता रहता है मन,

जब नहीं होता है काफ़ी

अफ़सोस का मरहम।

और कई बातों का जब

लग जाता है बन्धन

तो भूल जाती है वह घुटन।

लेकिन होता है जब कोई

वैसा ही एहसास दुबारा,

नासूर बन जाता है

तब वह घाव पुराना।