वक्त की करवटें

 

जिन्दगी अब गुनगुनाने से डरने लगी है।

सुबह अब रात-सी देखो ढलने लगी है।

वक्त की करवटें अब समझ नहीं आतीं,

उम्र भी तो ढलान पर चलने लगी है।