रसते–बसते घरों में खुशियां

रसतेबसते घरों में खुशियां चकले-बेलने की ताल पर बजती हैं।

मां रोटी पकाती है, घर महकता है, थाली-कटोरी सजती है।

देर शाम घर लौटकर सब साथ-साथ बैठते, हंसते-बतियाते,

निमन्त्रण है तुम्हें, देखना घर की दीवारें भी गुनगुनाने लगती हैं।