यहां रंगीनियां सजती हैं

दीवारों पर

उकेरित ये कृतियां

भाव अनमोल।

नेह, अपनत्व, संस्कारों का

न लगा सके कोई मोल।

घर की रंगीनियां,

खुशियां यहां बरसती हैं,

सबके हित की कामना

यहां करती हैं।

प्रतिदिन यहां

रंगीनियां सजती हैं,

पर्वों पर हर बार

जीवन में नये रंग भरती हैं।

 

किन्तु

जब समय चलता है

तो जीवन में बहुत कुछ बदलता है।

नहीं कहते कि ठीक है या नहीं,

किन्तु

रह गई अब स्मृतियां अशेष,

नवरंगों से सजी दीवारों पर

अब ये कृतियां

किन्हीं मूल्यवान

बंधन में बंधी दीवारों पर लटकती हैं।

स्मृतियां यूं ही भटकती हैं।