मौसम की आहट

कुहासे की चादर ओढ़े आज सूरज देर तक सोया रहा

ढूंढती फिर रही उसे न जाने अब तक कहां खोया रहा

दे रोशनी, जीवन की आस दे, दिन का भास दे, उजास दे

आवाज़ दी मैंने उसे, उठ ज़रा अब, रात भर सोया रहा