मौन की भाषा समझी न

शब्दों की भाषा समझी न, नयनों की भाषा क्या समझोगे

रूदन समझते हो आंसू को, मुस्कानों की भाषा क्या समझोगे

मौन की भाषा समझी न, क्या समझोगे मनुहार की भाषा

गुलदानों में रखते हो सूखे फूल, प्यार की भाषा क्या समझोगे