मेरी समझ कुछ नहीं आता

मां,

मास्टर जी कहते हैं

धरती गोल घूमती।

चंदा-तारे सब घूमते

सूरज कैसे आता-जाता

बहुत कुछ बतलाते।

मेरी समझ नहीं कुछ आता

फिर हम क्यों नहीं गिरते।

पेड़-पौधे खड़े-खड़े

हम पर क्यों नहीं गिरते।

चंदा लटका आसमान में

कभी दिखता

कभी खो जाता।

कैसे कहां चला जाता है

पता नहीं क्या-क्या समझाते।

इतने सारे तारे

घूम-घूमकर

मेरे बस्ते में क्यों नहीं आ जाते।

कभी सूरज दिखता

कभी चंदा

कभी दोनों कहीं खो जाते।

मेरी समझ कुछ नहीं आता

मास्टर जी

न जाने क्या-क्या बतलाते।