मेरी आंखों में आँसू देख

मुझसे

प्याज न कटवाया करो।

मुझे

प्याज के आँसू न रुलाया करो।

मेरी आंखों में आँसू देख

न मुस्कुराया करो।

खाना बनाने की

रोज़-रोज़

नई-नई

फ़रमाईशें न बताया करो।

रोज़-रोज़ मुझसे खाना बनवाते हो

कभी तो बनाकर खिलाया करो।

चलो, न बनाओ

तो बस

कभी तो हाथ बंटाया करो।

श्रृंगार किये बैठी थी मैं

कुछ तो

मुझ पर तरस खाया करो।

श्रृंगार का सामान मांगती हूँ

तब मँहगाई का राग न गाया करो।

मेरी आँसू देखकर

न जाने कितनी कहानियाँ बनेंगीं,

हँस-हँसकर मुझे न चिड़ाया करो।

शब्दों से न सही

भावों से ही

कभी तो प्रेम-भाव जतलाया करो।

रूठकर बैठती हूँ

कभी तो मनाने आ जाया करो।