मानसिकता कहां बदली है

मांग भर कर रखना बेटी, सास ससुर की सब सहना बेटी
शिक्षा, स्वाबलम्बन भूलकर बस चक्की चूल्हा देखना बेटी
इस घर से डोली उठे, उस घर से अर्थी, मुड़कर न देखना कभी
कहने को इक्कीसवीं सदी है, पर मानसिकता कहां बदली है बेटी