मन में एक जंगल है

मन में एक जंगल है

विचारों का, भावों का।

एक झंझावात की तरह आते हैं

अन्तर्मन को झिंझोड़ते हैं,

तहस-नहस करते हैं

और हवा के झोंके के साथ

अचानक

कहीं दूर उड़ जाते हैं।

कभी शब्द दे पाती हूं

और कभी नहीं।

लिखे शब्द पिघलने लगते हैं

आसमानी बादलों की तरह।

कहीं दूर उड़ जाते हैं

पक्षी की तरह।

हर बार एक कही-अनकही

आधी-अधूरी कहानी रह जाती है।