भ्रष्टाचारी सांसद विधायक के चुने जाने पर पार्टी जिम्मेदार हैं या आम आदमी

चुनाव में जो भी लोग खड़े होते हैं, उनका चयन  पार्टी ही करती है न कि आम आदमी। सबसे बड़ी बात यह कि जिस व्यक्ति को पार्टी प्रत्याशी के रूप में चुनती है, उसके बारे में कभी भी कोई जानकारी नहीं दी जाती, और आम आदमी भी केवल पार्टी का नाम देखकर ही वोट दे देता है न कि व्यक्ति-विशेष की जानकारी लेना चाहता है कि वह कैसा है। किन्तु, इसमें कोई संदेह नहीं कि पार्टी तो अपने प्रत्येक उम्मीदवार के बारे में जानती ही है। पार्टी एवं आम आदमी के अतिरिक्त चुनाव आयोग की भी भूमिका रहती है, जहाॅं दूध का दूध एवं पानी का पानी सम्भव है किन्तु होता नहीं।

वास्तव में पार्टियों के अपने स्वार्थ रहते हैं और आम आदमी दिशाहीन एवं असंलिप्त। अतः पार्टी का दायित्व प्रथम है। और आम आदमी का दोष यह कि वह अपने ही अधिकारों के प्रति सचेत नहीं है कि जब उसके पास वोट मांगने के लिए प्रत्याशी आता है तो वे उससे उसकी आधिकारिक पूरा जानकारी लें। आम आदमी ऐसी किसी भी समस्या से बचकर निकलना चाहता है। उसे किसी झंझट में नहीं पड़ना। किन्तु सर्वाधिक दायित्व चुनाव आयोग का है जिसके पास प्रत्येक प्रत्याशी का पूरा विवरण जाता है और वहां से उसे चुनाव में खड़े होने के अधिकार मिलते हैं।  वास्तविकता यह कि 140 करोड़ जनसंख्या वाले देश में जहाॅं आज भी धनबल पर वोट लिये जाते हैं, मतदान केन्द्र लूटे जाते हैं, अशिक्षा चरम पर है, वहाॅं आम आदमी के हाथ में कुछ नहीं है। अतः मेरी समझ में दायित्व पार्टियों का एवं चुनाव आयोग का है कि भ्रष्टाचारी व्यक्तियों को टिकट ही न मिले।