बासी रोटी-से तिरछे ऐंठे हैं

प्रेम-प्यार की बातें करते, मन में गांठें बांधे बैठे हैं

चेहरा देखो तो इनका, बासी रोटी-से तिरछे ऐंठे हैं

झूठे वादे टप-टप गिरते, गठरी देखो खुली पड़ी

दिखते प्यारे, हमसे पूछो, अन्दर से कितने कैंठे हैं।