बारिश की बूंदे अलमस्त सी

बारिश की बूंदे अलमस्त सी, बहकी-बहकी घूम रहीं

पत्तों-पत्तों पर सर-सर करतीं, इधर-उधर हैं झूम रहीं

मैंने रोका, हाथों पर रख, उनको अपने घर ले आई मैं

पता नहीं कब भागीं, कहां गईं, मैं घर-भर में ढूंढ रही