बसन्त पंचमी पर

कामना है बस मेरी

जिह्वा पर सदैव

सरस्वती का वास हो।

वीणा से मधुर स्वर

कमल-सा कोमल भाव

जल-तरंगों की तरलता का आभास हो।

मिथ्या भाषण से दूर

वाणी में निहित

भाव, रस, राग हो।

गगन की आभा, सूर्य की उष्मा

चन्द्र की शीतलता, या हों तारे द्युतिमान

वाणी में सदैव सत्य का प्रकाश हो।

हंस सदैव मोती चुगे

जीवन में ऐसी  शीतलता का भास हो।

किन्तु जब आन पड़े

तब, कलम क्या

वाणी में भी तलवार की धार सा प्रहार हो।