फूल तो फूल हैं

फूल तो फूल हैं
कहीं भी खिलते हैं।
कभी नयनों में द्युतिमान होते हैं
 कभी गालों पर महकते हैं
कभी उपवन को सुरभित करते हैं,
तो कभी मन को 
आनन्दित करते हैं,
मन के मधुर भावों को
साकार कर देते हैं
शब्द को भाव देते हैं
और भाव को अर्थ।
प्रेम-भाव का समर्पण हैं,
कभी किसी की याद में
गुलदानों में लगे-लगे 
मुरझा जाते हैं।
यही फूल स्वागत भी करते हैं
और अन्तिम यात्रा भी। 
और कभी किसी की 
स्मृतियों में जीते हैं
ठहरते हैं उन पर आंसू 
ओस की बूंदों से।