प्रेम प्रतीक बनाये मानव

चहक-चहक कर

फुदक-फुदक कर

चल आज नया खेल हम खेंलें।

प्रेम प्रतीक बनाये मानव,

चल हम इस पर इठला कर देखें।

तू क्या देखे टुकुर-टुकुर,

तू क्या देखे इधर-उधर,

कुछ बदला है, कुछ बदलेगा।

कर लो तुम सब स्वीकार अगर,

मौसम बदलेगा,

नव-पल्लव तो आयेंगे।

अभी चलें कहीं और

लौटकर अगले मौसम में,

घर हम यहीं बनायेंगे।