प्रेम, सौहार्द,स्नेह के निर्झर बहाकर देख

किसी दूसरे की व्यथा को अपना बनाकर  देख

औरों के लिए सुख का सपना सजाकर तो देख

अपने लिए,अपनों के लिए तो जीते हैं सभी यहां

मैत्री, प्रेम, सौहार्द,स्नेह के निर्झर बहाकर देख