प्रीत,रीत,मनमीत,विश्वास सब है अभी भी यहां

बेवजह व्याकुल रहने की आदत सी हो गई है

बेवजह बुराईयां जताने की आदत सी हो गई है

प्रीत,रीत,मनमीत,विश्वास सब है अभी भी यहां

बेवजह इनको नकारने की आदत सी हो गई है।