प्रकृति मुस्काती है

मधुर शब्द

पहली बरसात की

मीठी फुहारों-से होते हैं

मानों हल्के-फुल्के छींटे,

अंजुरियों में

भरती-झरती बूंदें

चेहरे पर रुकती-बहतीं,

पत्तों को रुक-रुक छूतीं

फूलों पर खेलती,

धरा पर भागती-दौड़ती

यहां-वहां मस्ती से झूमती

प्रकृति मुस्काती है

मन आह्लादित होता है।