प्यार के इज़हार के लिए

आ जा,

आज ज़रा

ताज के साये में

कुछ देर बैठ कर देखें।

क्या एहसास होता है

ज़रा सोच कर देखें।

किसी के प्रेम के प्रतीक को

अपने मन में उतार कर देखें।

क्या सोचकर बनाया होगा

अपनी महबूबा के लिए

इसे किसी ने,

ज़रा हम भी आजमां कर तो देखें।

न ज़मीं पर रहता है

न आसमां पर,

किस के दिल में कौन रहता है

ज़रा जांच कर देखें।

प्यार के इज़हार के लिए

इन पत्थरों की क्या ज़रूरत थी,

बस एक बार

हमारे दिल में उतर कर तो देखें।
एक अनछुए एहसास-सी,

तरल-तरल भाव-सी,

प्रेम की कही-अनकही कहानी

नहीं कह सकता यह ताज जी।