पुष्प निःस्वार्थ भाव से

पुष्प निःस्वार्थ भाव से नित बागों को महकाते।

पंछी को देखो नित नये राग हमें मधुर सुनाते।

चंदा-सूरज दिग्-दिगन्त रोशन करते हरपल,

हम ही क्यों छल-कपट में उलझे सबको बहकाते।