पीछे मुड़कर क्या देखना

साल बीता] काल बीता

ऐसे ही कुछ हाल बीता।

कभी खुश हुए

कभी उदास रहे,

कभी काम किया

कभी आराम किया।

जीवन का आनन्द लिया।

कोई मिला,

कोई बिछड़ गया।

कोई आया] कोई चला गया।

कुछ मित्र बने] कुछ रूठ गये।

सम्बन्धों को आयाम मिला

कभी अलगाव का भाव मिला।

जीवन में भटकल-अटकन,

पिछले को रोते रहते

नया कुछ मिला नहीं।

जब नया मिला तो

पिछला तो  छूटा नहीं।

हार-जीत भी चली रही

दिल की बात दिल में रही।

नफरत दिल में पाले

प्रेम-प्यार की बात करें ।

लिखने को मन करता है

बात मुहब्बत की

पर बुन आती हैं नाराज़गियां।

बिन जाने हम बोल रहे।

देख रहे हम

हेर-फ़ेर कर वही कहानी।

गिन-गिनकर दिन बीते

बनते जाते साल]

पीछे मुड़कर क्या देखना

विधि चलती अपनी चाल।