नज़र-नज़र की बात

निराशाओं में भी

रोशनी की आस होती है।

अंधेरे में भी

किरणों की भास होती है।

भरोसे पर नहीं चलती दुनिया,

ज़िन्दगी बड़े रंग दिखाती है,

जांच-परख कर ही

आगे बात होती है।

बस, उम्मीद न छोड़ना कभी,

हार में भी

जीत ही की बात होती है।

खंडहरों में भी

हीरे-मोती तलाशते हैं,

यहां भी चकाचैंध होती है,

बस, नज़र-नज़र की बात होती है।