नेह की पौध बीजिए

घृणा की खरपतवार से बचकर चलिए।

इस अनचाही खेती को उजाड़कर चलिए।

कब, कहां कैसे फैले, कहां समझें हैं हम,

नेह की पौध बीजिए, नेह से सींचते चलिए।