नेह की डोर

कुछ बन्धन

विश्वास के होते हैं

कुछ अपनेपन के

और कुछ एहसासों के।

एक नेह की डोर

बंधी रहती है इनमें

जिसका

ओर-छोर नहीं होता

गांठें भी नहीं होतीं

बस

अदृश्य भावों से जुड़ी

मन में बसीं

बेनाम

बेमिसाल

बेशकीमती।