निरभिलाष कर्म का संदेश दिया था

माखन की हांडी ले बैठे रहना हर युग में, ऐसा मैंने कब बोला था

बस राधे राधे रटते रहना हर युग में, ऐसा मैंने कब बोला था

निरभिलाष कर्म का संदेश दिया था गीता में उसको कैसे भूले तुम

पत्थर गढ़ गढ़ मठ मन्दिर में बैठे रहना, ऐसा मैंने कब बोला था