निःस्वार्थ था उनका बलिदान

 

ये वे नाम हैं

जिन्हें हम स्मरण करते हैं

बस किसी एक दिन,

उनकी वीरता, साहस,

देश भक्ति और बलिदान।

विदेशी आक्रांताओं से मुक्ति,

स्वाधीन, महान भारत का सपना

हमें देकर गये।

निःस्वार्थ था उनका बलिदान

वे केवल जानते थे

हमारा भारत महान

और हर नागरिक समान।

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देशभक्ति क्या होती है

क्या होता है बलिदान,

काश! हम समझ पाते।

तो आज

न बहता सड़कों पर रक्त

न पूछते हम जाति

न करते किसी धर्म-अधर्म की बात

न पत्थर चिनते,

न दीवारें बनाते,

बस इंसानियत को जीते

और इंसानियत को समझते।

किसी ने कहा था

अच्छा हुआ

आज गांधी ज़िन्दा नहीं हैं

नहीं तो वे

सच को इस तरह सड़कों पर

मरता देख बहुत रोते।

अच्छा हुआ

इनमें से कोई आज ज़िन्दा नहीं है,

वे हमारी सोच देख

सच में ही मर जाते।

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ऐसा क्या हुआ

कि हम

इन्हें अपने भीतर

ज़िन्दा नहीं रख पाये।