धरा पर पांव टिकते नहीं

और चाहिये और चाहिए की भूख में छूट रहे हैं अवसर

धरा पर पांव टिकते नहीं, आकाश को छू पाते नहीं अक्सर

यह भी चाहिये, वह भी चाहिए, लगी है यहां बस भाग-दौड़

क्या छोड़ें, क्या लें लें, इसी उधेड़-बुन में रह जाते हैं अक्सर