देश और ध्वज

देश

केवल एक देश नहीं होता

देश होता है

एक भाव, पूजा, अर्चना,

और भक्ति का आधार।

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ध्वज

केवल एक ध्वज नहीं होता

ध्वज होता है प्रतीक

देश की आन, बान,

सम्मान और शान का।

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और यह देश भारत है

और है आकाश में लहराता

हमारा तिरंगा

और जब वह भारत हो

और हो हमारा तिरंगा

तब शीश स्वयं झुकता है

शीश मान से उठता है

जब आकाश में लहराता है तिरंगा।

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रंगों की आभा बिखेरता

शक्ति, साहस

सत्य और शांति का संदेश देता

हमारे मन में

गौरव का भाव जगाता है तिरंगा।

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जब हम

निरखते हैं तिरंगे की आभा,

गीत गाते हैं

भारत के गौरव के,

शस्य-श्यामला

धरा की बात करते हैं

तल से अतल तक विस्तार से

गर्वोन्नत होते हैं

तब हमारा शीश झुकता है

उन वीरों की स्मृति में

जिनके रक्त से सिंची थी यह धरा।

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स्वर्णिम आज़ादी का

उपहार दे गये हमें।

आत्मसम्मान, स्वाभिमान

का भान दे गये हमें

देश के लिए जिएँ

देश के लिए मरें

यह ज्ञान दे गये हमें।

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स्वर्णिम आज़ादी का

उपहार दे गये हमें।

आत्मसम्मान, स्वाभिमान

का भान दे गये हमें