दीवारें एक नाम है पूरे जीवन का

दीवारें

एक नाम है

पूरे जीवन का ।

हमारे साथ

जीती हैं पूरा जीवन।

सुख-दुख, अपना-पराया

हंसी-खुशी या आंसू,

सब सहेजती रहती हैं

ये दीवारें।

सब सुनती हैं,

देखती हैं, सहती हैं,

पर कहती नहीं किसी से।

कुछ अर्थहीन रेखाएं

अंगुलियों से उकेरती हूं

इन दीवारों पर।

पर दीवारें

समझती हैं मेरे भाव,

मिट्टी दरकने लगती है।

कभी गीली तो कभी सूखी।

दरकती मिट्टी के साथ

कुछ आकृतियां

रूप लेने लगती हैं।

समझाती हैं मुझे,

सहलाती हैं मेरा सर,

बहते आंसुओं को सोख लेती हैं।

कभी कुछ निशान रह जाते हैं,

लोग समझते हैं,

कोई कलाकृति है मेरी।