ताउते एवं यास तूफ़ान के दृष्टिगत रचना

अपनी सीमाओं का

अतिक्रमण करते हुए

लहरें आज शहरों में प्रवेश कर गईं।

उठते बवंडर ने

सागर में कश्तियों से

अपनी नाराज़गी जताई।

हवाओं की गति ने

सब उलट-पलट दिया।

घटाएं यूं घिरीं, बरस रहीं

मानों कोई आतप दिया।

प्रकृति के सौन्दर्य से

मोहित इंसान

इस रौद्र रूप के सामने

बौना दिखाई दिया।

 

प्रकृति संकेत देती है,

आदेश देती है, निर्देश देती है।

अक्सर

सम्हलने का समय भी देती है।

किन्तु हम

सदा की तरह

आग लगने पर

कुंआ खोदने निकलते हैं।