ढोल बजा

चुनावों का अब बिगुल बजा

किसका-किसका ढोल बजा

किसको चुन लें, किसको छोड़ें

हर बार यही कहानी है

कभी ज़्यादा कभी कम पानी है

दिमाग़ की बत्ती गुल पड़ी है

आंखों पर पट्टी बंधी है

बस बातें करके सो जायेंगे

और सुबह फिर वही राग गायेंगे।